मुझे ऐसा मिला मोती, कोई सागर में न होगा

(Murli Date: 23-03-23)

“ख़ुद को खुदा में समाकर खुदा को जिंदगी का अंश बनाना, यही जीवन के अनमोल रतन है और सबसे महंगा खजाना”

अभी तक अपने आप को अपने समय को लोगों में इन्वेस्ट किया हैं पर outcome क्या मिलता है वो बहुत मान्य रखता है। कोई भी चीज हमारे अनुसार न हो तो नेगेटिविटी उत्पन होती है। हम expectations के जाल में फंस जाते हैं। Expectations बढ़ने लगती हैं और पूरी न होने पर मन में कई तरह के तूफान आ जाते हैं। आपने लोगो का भला किया यह हमारा कर्म है पर अगर लोगो की जगह जब खुद को परमात्मा में इन्वेस्ट करते है तो आउटकम क्या होगा हम अब समझ सकते हैं।

यह कहना की मैं बाबा का हूं वो मेरा है, और उसमे समाना दोनो में अंतर है। अगर बाबा मेरा प्रेम है साथी है तो प्रश्न यह है की मैं नाखुश क्यों हूँ या मैं आशांत क्यों हूँ। या फिर शायद से तार पूरी तरह जुड़ा नहीं है। परमात्मा से वो कनेक्शन दिल से जुड़े। सोचूं तो बाबा, कहीं घूमने जाना तो बाबा जिस घर में रहते हो यह प्रतीत हो यह मेरा घर नहीं मेरे बाबा का है।

मुझसे rich कोई नहीं क्योंकि मैं परमात्मा शिव पिता की संतान हूँ। मेरी पालना वो कर रहे है। घर से बाहर जाते तो बाबा को बताकर जाओ साथ लेकर जाओ। और हर जगह बाबा का गुणगान हो।

लोगो में व्यर्थ है इन्वेस्टमेंट करना। परमात्मा में करते हैं तो इन्वेस्टमेंट का जो interest मिलेगा वो कई गुणा अनमोल रत्नों से परे है जिसका हिसाब नहीं।

इस बात का नशा रहे कि मुझे ऐसा मिला मोती कोई सागर में न होगा। मुझे ऐसा मिला तारा कोई अम्बर में न होगा।