
Q-What dharna is needed to achieve a high status? A-Solution: have full control over the physical organs. Become the Conqueror and control them, so that you are able to do the right actions. Follow the father and mother completely. It is important to have control over physical organs to do the right actions as vices like greed and many desires make us do evil actions, which depreciates the status we want in the Golden age. Baba has come as the worshipping period has ended. The devotion of the devotees in the world has ended. Baba has come to tell the
Positivity means the creation of right thoughts, speaking of right words and doing right actions. Also, feeling pleasant and the state of mind is at ease while playing different roles, fulfilling responsibilities and duties throughout the day. POSITIVITY is light in a room full of darkness ( negativity) in our minds. To conquer the darkness in the mind, the light of positivity is the only solution. Right intentions: To remain positive : Our mind is the most powerful instrument we possess, and we are not aware of its powers. the mind’s power is to create thoughts and each thought

”मीठे बच्चे – बाप से पूरा वर्सा लेने के लिए विकारों का दान जरूर देना है,देही-अभिमानी बनना है, मम्मा बाबा कहते हो तो लायक बनो।” प्रश्न:- आस्तिक बने हुए बच्चे भी किस एक बात के कारण नास्तिक बन जाते हैं? उत्तर:- देह-अभिमान के कारण, जो कहते हम सब कुछ जानते हैं। पुरानी चाल छोड़ते नहीं। ज्ञान की गोली लगने के बाद फिर माया की गोली खाते रहते। मैं आत्मा हूँ, देही-अभिमानी बनना है, इस बात को भूलने से आस्तिक बने हुए भी नास्तिक बन जाते हैं। ईश्वरीय गोद से मर जाते हैं। गीत:- आज नहीं तो कल… धारणा के लिए

”मीठे बच्चे – ज्ञान की बुल-बुल बनकर आप समान बनाने की सेवा करो, अपनी दिल से पूछो मेरी याद की यात्रा “ठीक है” प्रश्न:- किस विशेष पुरूषार्थ से बेगर टू प्रिन्स बन सकते हो? उत्तर:- बेगर टू प्रिन्स बनने के लिए बुद्धि की लाइन क्लीयर हो। एक बाप के सिवाए और कोई भी याद न आये। यह शरीर भी मेरा नहीं। ऐसा जीते जी मरने का पुरूषार्थ करने वाले ही बेगर हैं, उनकी ही वानप्रस्थ अवस्था है क्योंकि बुद्धि में रहता अब तो बाप के साथ घर जाना है फिर सुखधाम में आना है। धारणा के लिए मुख्य सार:- 1)

”मीठे बच्चे – श्रीमत पर तुम्हें सबकी रूहानी खातिरी करनी है, खुशी की खुराक खाना और खिलाना यही है सच्ची खातिरी करना” प्रश्न:- ज्ञान में स्प्रीच्युलिटी का जौहर भरने की विधि क्या है, उससे कौन-कौन से फायदे होंगे? उत्तर:- जब किसी को भी ज्ञान सुनाते हो तो आत्मा समझकर आत्मा को ज्ञान दो, इससे स्प्रीचुअल्टी का जौहर भर जायेगा। इस नई आदत से किसी को भी ज्ञान सुनायेंगे तो उसे झट तीर लग जायेगा। शरीर का भान भी खत्म होता जायेगा। फिर माया के तूफान वा बुरे संकल्प भी नहीं आयेंगे। क्रिमिनल आई भी नहीं रहेगी। धारणा के लिए मुख्य

त्रिदेव रचियता द्वारा वरदानों की प्राप्ति वरदान:- चलन आरै चेहरे द्वारा पुरूषोत्तम स्थिति का साक्षात्कार कराने वाले ब्रह्मा बाप समान भव जैसे ब्रह्मा बाप साधारण तन में होते भी सदा पुरूषोत्तम अनुभव होते थे। साधारण में पुरूषोत्तम की झलक देखी, ऐसे फालो फादर करो। कर्म भल साधारण हो लेकिन स्थिति महान हो। चेहरे पर श्रष्ठे जीवन का प्रभाव हो। जैसे लौकिक रीति में कई बच्चों की चलन और चेहरा बाप समान होता है, यहाँ चेहरे की बात नहीं लो लेकिन चलन ही चित्र हैl हर चलन से बाप का अनुभव हो, ब्रह्मा बाप समान पुरूषोत्तम स्थिति हो-तब कहेंगे बाप समान।

”मीठे बच्चे – ज्ञान रत्नों को धारण कर रूहानी हॉस्पिटल, यूनिवर्सिटी खोलते जाओ, जिससे सबको हेल्थ वेल्थ मिले” प्रश्न – बाप का कौन सा कर्तव्य कोई भी मनुष्य आत्मा नहीं कर सकती है? उत्तर:- आत्मा को ज्ञान का इंजेक्शन लगाकर उसे सदा के लिए निरोगी बनाना, यह कर्तव्य कोई भी मनुष्य नहीं कर सकते l जो आत्मा को निर्लेप मानते, वह ज्ञान का इंजेक्शन कैसे लगायेंगे। यह कर्तव्य एक अविनाशी सर्जन का ही है जो ऐसी ज्ञान-योग की दवाई देते हैं जिससे आधाकल्प के लिए आत्मा आरै शरीर दोनों ही हेल्दी-वेल्दी बन जाते हैl गीत:- यह वक्त जा रहा है

”मीठे बच्चे – सर्वशक्तिमान् बाप की याद से आत्मा पर चढ़ी हुई विकारों की जंक को उतारने का पुरूषार्थ करो” प्रश्न:- बाप से बुद्धियोग टूटने का मुख्य कारण वा जोड़ने का सहज पुरुषार्थ क्या है? उत्तर:- बुद्धियोग टूटता है देह-अभिमान में आने से, बाप के फरमान को भूलने से, गन्दी दृष्टि रखने से इसलिए बाबा कहते बच्चे जितना हो सके आज्ञाकारी बनो। देही-अभिमानी बनने का पूरा-पूरा पुरूषार्थ करो।अविनाशी सर्जन की याद से आत्मा को शुद्ध बनाओ। गीत:- आने वाले कल की तुम… धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) बाप की आशीर्वाद लेने के लिए आज्ञाकारी बनना है। देही-अभिमानी बनने

”मीठे बच्चे – बाप आये हैं तुम्हें भक्ति का फल देने, भक्ति का फल है ज्ञान, ज्ञान से ही सद्गति होती है” प्रश्न:- इस ब्राह्मण कुल में बड़ा किसको कहेंगे? उनकी निशानी सुनाओ? उत्तर:- ब्राह्मण कुल में बड़े से बड़े वह हैं जो अच्छी सर्विस करने वाले हैं। जिन्हें सदैव अपनी उन्नति का ही ओना (ख्याल) रहता है, जो पढ़ाई कर बहुत तीखे जाते हैं। ऐसे महावीर बच्चे अपना तन-मन-धन सब ईश्वरीय सेवा में ही सफल करते हैं। अपनी चलन पर बहुत ध्यान देते हैं। गीत:- तूने रात गवाई सोके… धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) स्वयं को सर्विस के

”मीठे बच्चे – तुम्हारा चेहरा सदा खुशनुम: हो, बोल में हिम्मत और स्प्रिट हो, तो तुम्हारी बात का प्रभाव पड़ेगा” प्रश्न:- कौन सी ड्युटी व कर्तव्य बाप का है, जो कोई भी मनुष्य नहीं कर सकता? उत्तर:- विश्व में शान्ति स्थापन करना वा पतित सृष्टि को पावन बनाना, यह ड्युटी बाप की है। कोई भी मनुष्य विश्व में पीस कर नहीं सकते। भल कांफ्रेंस आदि करते हैं, पीस प्राइज देते हैं लेकिन पीस स्थापन तब हो जब पहले प्यूरिटी में रहे।प्यूरिटी से ही पीस और प्रासपर्टी मिलती है। बाप आकर ऐसी पवित्र दुनिया स्थापन करते हैं, जहाँ पीस होगी। गीत:-