”मीठे बच्चे – देह-अभिमान में आने से पाप होते हैं, इसलिए देही-अभिमानी बनो, तुम्हारे मैनर्स बहुत अच्छे होने चाहिए, किसी को भी दु:ख नहीं देना है”
प्रश्न:- 21 जन्मों की प्रालब्ध बनाने के लिए बाप कौन सी सहज युक्ति बताते हैं?
उत्तर:- बच्चे, यह ईश्वरीय बैंक है, इसमें जितना जमा करेंगे उतना 21 जन्म प्रालब्ध पायेंगे। ईश्वरीय स्थापना के कार्य में सफल करने से ही जमा होगा। बाकी तो सबका देवाला निकलना ही है। यह है ही दु:खधाम। अर्थक्वेक होगी, आग लगेगी… सबको घाटा पड़ना है इसलिए कहते हैं – किनकी दबी रहेगी धूल में, किनकी राजा खाए…
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अन्दर में कोई भी खोट (कमी) हो तो उसे निकाल देना है। सच्ची दिल रखनी है। देह-अभिमान में आकर कभी क्रोध नहीं करना है।
2) जब भी फुर्सत मिले तो याद की यात्रा में रह कमाई जमा करनी है।
वरदान:- सम्पूर्ण समर्पण की विधि द्वारा अपने पन का अधिकार समाप्त करने वाले समान साथी भव
जो वायदा है कि साथ रहेंगे, साथ चलेंगे और साथ में राज्य करेंगे-इस वायदे को तभी निभा सकोगे जब साथी के समान बनेंगे। समानता आयेगी समर्पणता से। जब सब कुछ समर्पण कर दिया तो अपना वा अन्य का अधिकार समाप्त हो जाता है। जब तक किसी का भी अधिकार है तो सर्व समर्पण में कमी है इसलिए समान नहीं बन सकते। तो साथ रहने, साथ उड़ने के लिए जल्दी-जल्दी समान बनो।
स्लोगन:- अपने समय, श्वांस और संकल्प को सफल करना ही सफलता का आधार है।
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