”मीठे बच्चे – तुम अभी वन्डरफुल रूहानी यात्री हो, तुम्हें इस यात्रा से 21 जन्मों के लिए निरोगी बनना है”
प्रश्न:- सतयुग में कौन सी चीज काम नहीं आती है जो भक्ति मार्ग में बाप के काम आती है?
उत्तर:- दिव्य दृष्टि की चाबी। सतयुग में इस चाबी की दरकार नहीं रहती। जब भक्तिमार्ग शुरू होता है तो भक्तों को खुश करने के लिए साक्षात्कार कराना पड़ता है। उस समय यह चाबी बाप के काम आती है इसलिए बाप को दिव्य दृष्टि दाता कहा जाता है। बाप तुम बच्चों को विश्व की बादशाही देते हैं, दिव्य दृष्टि की चाबी नहीं।
गीत:- मरना तेरी गली में….
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) खुद सेन्सीबुल बनकर दूसरों को भी बनाना है। अपनी चलन बहुत रायल और मीठी रखनी है।
2) रूहानी यात्रा पर तत्पर रहना है। अपने पास अच्छी टापिक्स नोट रखनी है। एक-एक टापिक पर विचार सागर मंथन करना है।
वरदान:- अन्तर स्वरूप में स्थित रह अपने वा बाप के गुप्त रूप को प्रत्यक्ष करने वाले सच्चे स्नेही भव
जो बच्चे सदा अन्तर की स्थिति में अथवा अन्तर स्वरूप में स्थित रह अन्तर्मुखी रहते हैं, वे कभी किसी बात में लिप्त नहीं हो सकते। पुरानी दुनिया, सम्बन्ध, सम्पत्ति, पदार्थ जो अल्पकाल और दिखावा मात्र हैं उनसे धोखा नहीं खा सकते। अन्तर स्वरूप की स्थिति में रहने से स्वयं का शक्ति स्वरूप जो गुप्त है वह प्रत्यक्ष हो जाता है और इसी स्वरूप से बाप की प्रत्यक्षता होती है। तो ऐसा श्रेष्ठ कर्तव्य करने
वाले ही सच्चे स्नेही हैं।
स्लोगन:- निश्चय और जन्म सिद्ध अधिकार की शान में रहो तो परेशान नहीं होंगे
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