Murli ka Saar dated 17-12-2021

”मीठे बच्चे – संगमयुग पुरुषोत्तम युग है, यहाँ की पढ़ाई से 21 जन्मों के लिए तुम

उत्तम ते उत्तम पुरुष बन सकते हो”

प्रश्न:- आन्तरिक खुशी में रहने के लिए कौन सा निश्चय पक्का होना चाहिए?

उत्तर:- पहला-पहला निश्चय चाहिए कि हम विश्व के मालिक थे, बहुत धनवान थे। हमने ही पूरे 84 जन्म लिए हैं। अब बाबा हमको फिर से विश्व की बादशाही देने आये हैं। अभी हम त्रिकालदर्शी बने हैं। रचता बाप द्वारा रचना के आदि-मध्य-अन्त को हमने जाना है। ऐसा निश्चय हो तब आन्तरिक खुशी रहे।

गीत:- नयन हीन को राह दिखाओ प्रभू……

 

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) अपनी ऊंची प्रालब्ध बनाने के लिए पढ़ाई अच्छी तरह पढ़नी है। कोई भी बुरा काम नहीं करना है।

2) अपना खान-पान बहुत शुद्ध रखना है। देवताओं को जो चीज स्वीकार कराते हैं, वही खानी है। पुरुषोत्तम बनने का पुरुषार्थ करना है।

वरदान:- त्याग, तपस्या द्वारा सेवा में सफलता प्राप्त करने वाले सर्व के कल्याणकारी भव

जैसे स्थूल अग्नि दूर से ही अपना अनुभव कराती है, ऐसे आपकी तपस्या और त्याग की झलक दूर से ही सर्व को आकर्षित करे। सेवाधारी के साथ-साथ त्यागी, तपस्वीमूर्त बनो तब सेवा का प्रत्यक्षफल दिखाई देगा। त्यागी अर्थात् कोई भी पुराने संकल्प वा संस्कार दिखाई न दें। तपस्वी अर्थात् बुद्धि की स्मृति वा दृष्टि से सिवाए आत्मिक स्वरूप के और कुछ भी दिखाई न दे। जो भी संकल्प उठे उसमें हर आत्मा का कल्याण समाया हुआ हो तब कहेंगे सर्व के कल्याणकारी।

स्लोगन:- देह-भान से पार जाने के लिए चित्र को न देख चेतन और चरित्र को देखो।

To Watch,Murli Saar https://youtu.be/dTBu2qxfkUk