(Murli Date: 01-03-2023)
“बेहद ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त को समझना है, जो पास्ट हुआ वही अब फिर प्रजेन्ट होना है, अभी संगमयुग प्रजेन्ट है फिर सतयुग आना है” |
ज्ञान:
- ज्ञान है ही समझ। वह है भक्ति, यह है ज्ञान। सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है वह समझना है।
- मनुष्य पतित से पावन बना नहीं सकते, कोई भी हालत में। सारी दुनिया का सवाल है ना।
- सारा मदार गीता को करेक्ट कराने पर है। गीता खण्डन होने कारण भगवान की हस्ती गुम हो गई है।
- कह देते हैं ईश्वर का कोई नाम रूप है नहीं। अब नाम रूप काल तो आत्मा का भी है। आत्मा का नाम आत्मा है, वह भी परमपिता परम आत्मा है।
- हम आत्मा यह शरीर रूपी चोला लेकर पार्ट बजाती है फिर वापिस जाना है, शरीर छोड़ना पड़ता है। तुम्हें तो खुशी होनी चाहिए, डरना नहीं चाहिए। तुम बहुत कमाई कर रहे हो।
- जो ऊंच पद पाते हैं, माला भी उन्हों की बनी है। रूद्र माला है ना। यह सभी हैं जड़ चित्र। जरूर कुछ करके गये हैं तब तो रूद्र माला कहते हैं ना।
योग:
- सिर्फ घर को याद करेंगे तो ब्रह्म के साथ योग हो गया, उनसे विकर्म विनाश हो नहीं सकते।
- तुमको याद करना है एक बाप को। बाप कहते हैं मुझे याद करने से तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे।
- इतना जरूर है योग में रहने से आयु बढ़ती है। मैनर्स भी बड़े अच्छे चाहिए। कहते हैं बाबा आप कितने मीठे हो। मैं भी आप जैसा मीठा बनूंगा।
- जितना योग लगायेंगे उतना नजदीक जाकर रूद्र के गले का हार बनेंगे।
धारणा:
- मात-पिता समान औरों को ज्ञान देता हूँ? हमारे से कोई नाराज़ तो नहीं होता है? शान्ति को धारण किया है? शान्ति हमारा स्वधर्म है ना। अपने को अशरीरी आत्मा समझना है, देखना है मेरे में कोई विकार तो नहीं हैं?
- श्रीमत पर हर कर्म श्रेष्ठ करना है। सबके डूबे हुए बेड़े को श्रीमत पर पार लगाना है। दु:खियों को सुख देना है।
सेवा:
- बाबा ने समझाया है तुम हो सैलवेशन आर्मी। सैलवेशन आर्मी उनको कहा जाता है जो किसके डूबे हुए बेड़े को (नांव को) पार लगाते हैं। दु:खी को सुखी बनाते हैं।
- अभी तुम श्रीमत पर सबका बेड़ा पार कर रहे हो। बलिहारी तो शिवबाबा की है ना। हम तो मूर्ख थे। बाप की मत मिलने से फिर औरों को भी मत देते हैं।
- कई मनुष्य कहते हैं तुम औरों की निंदा क्यों करते हो। बोलो, भगवानुवाच लिखा हुआ है बाकी हम किसी की निंदा नहीं करते हैं।