(Murli Date: 08-02-23)
हरेक की विशेषता को देखने का चश्मा सदा लगा रहे तो विशेष आत्मा बन जायेंगे।
जब हम दूसरों में अच्छाई देखने लगते हैं तो हमारा जीवन सुखी और शांत हो जाता है जो लोग दूसरों में बुराई देखते हैं, उन्हें मानसिक शांति नहीं मिल पाती है। दूसरों से ईर्ष्या न रखें और सभी में सिर्फ अच्छाई देखेंगे तो हमारे जीवन में भी सुख-शांति आ सकती है। गुस्सा, पछतावा, चिंता और जलन जैसी भावनाओं से उलझकर जीवन बर्बाद नहीं करना चाहिए। बाबा की नजर हरेक बच्चे की विशेषता पर जाती थी। और ऐसा कोई भी नहीं हो सकता जिसमें कोई विशेषता न हो। विशेषता है तभी तो हम विशेष आत्मा बनकर ब्राह्मण परिवार में आये हैं। जैसे बाप होपलेस को होपवाला बना देते। ऐसा कोई भी हो कैसा भी हो उसकी विशेषता देखे, यह है संगम- युगी ब्राह्मणों की विशेषता। ऐसा कोई भी हो कैसा भी हो उसकी विशेषता देखे, यह है संगम – युगी ब्राह्मणों की विशेषता।
जैसे जवाहरी की नजर सदा हीरे रहती, हमें भी ज्वैलर्स बन जाए हो आपनी नजर पत्थर की तरफ न लेकर, हीरे को ही देखें । संगमयुग है ही हीरे तुल्य युग। पार्ट भी हीरो, युग भी हीरे तुल्य, तो हीरा ही देखो। फिर स्टेज कौन-सी होगी? अपनी शुभ भावना की किरणें सब तरफ फैलाते रहेंगे। वर्त्तमान समय इसी बात पर फोकस करना है। ऐसे पुरूषार्थी को ही तीव्र पुरू- षार्था कहा जाता है। ऐसा करते हैं तो मेहनत नहीं करनी पड़ती सब कुछ सहज हो जाता है। सहजयोगी के आगे कितनी भी बड़ी बात ऐसे सहज हो जाती है जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
नहीं, सूली से काँटा। बचपन में जब चलना सीखते हैं तब मेहनत लगती, तो मेहनत का काम भी बचपन की बातें हैं, अब मेहनत सामप्त सब में सहज। जहाँ कोई भी मुश्किल अनुभव होता है वहाँ उसी स्थान पर बाबा को रख दो। बोझ अपने ऊपर रखेंगे हो तो मेहनत लगेगी। बाप पर रख देंगे तो तो बाप बोझ को खत्म कर देंगे।
जैसे सागर में किचड़ा ड़ालते हैं तो वह अपने में नहीं रखता किनारे कर देता, ऐसे बाप भी बोझ को खत्म कर देते हैं।अब मंसा सेवा करो, शुभाचिंतन करो, मनन शक्ति को बढ़ाना है।