जो विघ्न डालते हैं उन पर कितना पाप चढ़ता होगा

(Murli Date: 18-03-23)

मोस्ट बिलवेड बाप का यथार्थ परिचय देने की युक्तियां निकालनी हैं, एक्यूरेट शब्दों में अल्फ का परिचय दो तो सर्वव्यापी की बात खत्म हो जायेगी

ज्ञान:

  • बाप दु:ख के लिए रचना रचें, यह हो नहीं सकता। जबकि हम उस बाप के बच्चे हैं, जो बाप स्वर्ग रचता है तो हम भी वहाँ होने चाहिए या परमधाम में होने चाहिए। परन्तु हमको यहाँ पार्ट बजाने आना पड़ता है। यह है विचार सागर मंथन करने की युक्तियां।
  • बाप को याद नहीं करते। भगवान तो एक ही है। वह है मोस्ट बिलवेड स्वर्ग का रचयिता। वहाँ बहुत सुख है। यहाँ दु:ख होने के कारण ही भगवान को याद करते हैं। बाप बच्चों को सुख के लिए ही जन्म देते हैं।
  •  रामायण, भागवत आदि की कथा सुनाते हैं, उसको रूद्र यज्ञ कहते हैं। वास्तव में रूद्र यज्ञ यह है। यह यज्ञ तो बहुत समय चलता है। उन्हों का तो करके मास भर यज्ञ चलेगा। यह तो देखो कितना समय चलता है। इसमें जो भी सब पुरानी चीजें हैं वह खत्म होनी हैं। यह सारी पुरानी दुनिया इसमें भस्म होनी है। कितना बड़ा यज्ञ है, ख्याल तो करो। 
  •  गीता है राजऋषियों की, हठयोगियों के तो बहुत शास्त्र हैं। एक तरफ वह सब डालो दूसरे तरफ गीता डालो। वास्तव में वह भी कोई हमारी है नहीं। हमारी तो है ही ज्ञान की बात। गीता का भगवान आता ही है सद्गति करने के लिए। तो बच्चों की बुद्धि में यह सब रहना चाहिए।
  • वर्ण भी मुख्य हैं। चक्र में भी वर्ण दिखाते हैं। ब्राह्मण कुल है सबसे छोटा। उन्हों के ज्ञान लेने का समय भी थोड़ा है। कितने थोड़े ब्राह्मण हैं। फिर उनसे जास्ती देवतायें, उनसे जास्ती क्षत्रिय, उनसे जास्ती वैश्य, शूद्र। तो तुम ब्राह्मण कितने थोड़े हो। इन थोड़ों में भी वह बहुत थोड़े हैं, जिनको सदैव खुशी का पारा चढ़ा रहता है। बाप ने समझाया है खुशी का पारा चढ़ेगा अमृतवेले। 
  • बच्चे तो जानते हैं हम परमपिता परमात्मा से भविष्य जन्म-जन्मान्तर के लिए आजीविका प्राप्त करते हैं। इसमें जो विघ्न डालते हैं उन पर कितना पाप चढ़ता होगा। सो भी समझकर विघ्न डालते हैं! बेसमझ पर तो कोई दोष नहीं। वह तो सारी दुनिया बेसमझ है। 

योग:

  •  तुम बच्चों को बेहद के बाप से बुद्धियोग जोड़ने लिए मेहनत करनी पड़ती है। योग न होने के कारण ही फिर मनुष्य से पाप होते हैं या धारणा नहीं हो सकती है।
  •  बाप को जानते ही नहीं तो अपने को उसके बच्चे भी समझते नहीं। हमने बाप को जाना है तो उनको याद करते हैं। वह बेहद का बाप है सभी आत्माओं का।
  •  ऐसे और तो कोई नहीं समझायेंगे कि वह बेहद का बाप स्वर्ग का रचयिता है। जरूर नर्क का भी रचयिता कोई होगा। पावन बनाने वाला एक बाप है तो जरूर पतित बनाने वाला भी कोई एक होगा। यह अच्छी रीति समझाना है। बाप कौन है जिसको हम याद करते हैं।

सेवा:

  • पहले-पहले यह समझाना है कि मनुष्य सृष्टि का रचयिता कौन है। वह रचयिता ही सबका बाप ठहरा। पहले-पहले बाप का परिचय देना है।
  • कोई भी आते हैं तो पहले-पहले बाप का परिचय देना है। जब अल्फ याद पड़े तब फिर आगे समझ सकें। अल्फ बिगर कुछ भी समझ नहीं सकेंगे। वह भी समझाना ऐसे है जो मनुष्य समझें इन्हों की समझानी तो बड़ी एक्यूरेट दिखाई पड़ती है।
  •  जिसको भाषण करना है तो विचार सागर मंथन करना होता है। पहले भाषण लिख रिफाइन करना चाहिए। बड़े-बड़े स्पीकर्स जो होते हैं वह बहुत खबरदारी से बोलते हैं। बिल्कुल एक्यूरेट सुनाते हैं। जरा भी हिचका तो आबरू (इज्जत) चली जायेगी। पहले से ही पूरी प्रैक्टिस करते हैं। यहाँ भी इतना बुद्धि में रहना चाहिए जो किसको बाप का परिचय दे सको। सर्विस करनी है। विकारी गुरूओं की जंजीरों में बहुत फॅसे हुए हैं। 
  • निराकार बाप टीचर के रूप से हमको सहज राजयोग सिखा रहे हैं। तो मनुष्य आश्चर्य खायेंगे कि इन्हों को निराकार कैसे पढ़ाते हैं। भगवानुवाच भी बरोबर है तो जरूर शरीर में आकर राजयोग सिखाया होगा। कोई शरीर का लोन लिया होगा तो पहले युक्ति से बाप का परिचय देना चाहिए।