Murli Ka Saar dated 13-12-2021

”मीठे बच्चे – श्रेष्ठ बनना है तो श्रीमत पर पूरा-पूरा चलो, श्रीमत पर न चलना ही सबसे बड़ी खामी है”

प्रश्न:- किन बच्चों का गला घुट जाता है, बुद्धि से ज्ञान निकल जाता है?

उत्तर:- जो चलते -चलते अपवित्र बन जाते हैं, पढ़ाई छोड़ बाप को फारकती दे देते हैं उनकी बुद्धि से ज्ञान निकल जाता है। जब तक निर्विकारी न बनें तब तक अविनाशी ज्ञान बुद्धि में बैठ नहीं सकता। बुद्धि का ताला खुल नहीं सकता। पतित बनने वालों का खान-पान भी गंदा हो जाता है। वह मायावी मनुष्यों से जाकर मिल जाते हैं फिर गला ही घुट जाता है। किसी को भी ज्ञान सुना नहीं सकते हैं।

गीत:- तुम्हें पाके हमने…….

 

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) श्रेष्ठाचारी बनने के लिए अपनी सब खामियां निकाल सदा श्रीमत पर चलना है। बुद्धि में ज्ञान रत्नों की धारणा देही-अभिमानी बनकर करनी है।

2) अपनी कथनी और करनी एक करनी है। ज्ञान की धारणा के लिए सबसे मोह निकाल एक बाप में ही मोह रखना है।

वरदान:- बाप-दादा के साथ द्वारा माया को दूर से ही मुर्छित करने वाले मायाजीत, जगतजीत भव

जैसे बाप के स्नेही बने हो ऐसे बाप को साथी बनाओ तो माया दूर से ही मुर्छित हो जायेगी। शुरू-शुरू का जो वायदा है तुम्हीं से खाऊं, तुम्हीं से बैठूँ, तुम्हीं से रूह को रिझाऊं…इसी वायदे प्रमाण सारी दिनचर्या में हर कार्य बाप के साथ करो तो माया डिस्टर्ब कर नहीं सकती, उसका डिस्ट्रक्शन हो जायेगा।तो साथी को सदा साथ रखो, साथ की शक्ति से वा मिलन में मगन रहने से मायाजीत, जगतजीत बन जायेंगेl

स्लोगन:- अपनी ऊंची वृत्ति से प्रवृत्ति की परिस्थितियों को चेंज करो।

To Watch,Murli Saar https://youtu.be/wVLx68aqyU8