”मीठे बच्चे – ऊंच पद का आधार पढ़ाई और याद की यात्रा पर है इसलिए जितना चाहो उतना गैलप कर लो”
प्रश्न:- कौन सा गुह्य राज पहले-पहले नहीं समझाना है? क्यों?
उत्तर:- ड्रामा का जो गुह्य राज है, वह पहले-पहले नहीं समझाना है क्योंकि कई मूँझ जाते हैं। कहते हैं ड्रामा में होगा तो आपेही राज्य मिलेगा। आपेही पुरुषार्थ कर लेंगे। ज्ञान के राज को पूरा न समझ मतवाले बन जाते हैं। यह नहीं समझते कि पुरुषार्थ बिना तो पानी भी नहीं मिलेगा।
गीत:- भोलेनाथ से निराला…
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जैसे ब्रह्मा बाप सरेन्डर हुआ, ऐसे फालो फादर करना है। अपना सब कुछ ईश्वर अर्थ कर ट्रस्टी बन ममत्व मिटा देना है।
2) लास्ट आते भी फास्ट जाने के लिए याद और पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना है।
वरदान:- पुराने संस्कार रूपी अस्थियों को सम्पूर्ण स्थिति के सागर में सामने वाले समान और सम्पूर्ण भव
बाप समान वा सम्पूर्ण बनने के लिए सृष्टि की कयामत के पहले अपनी कमजोरियों और कमियों की कयामत करो। कोई भी उलझन का नाम निशान न रहे ऐसा अपने को उज्जवल बनाओ। जैसे जन्म परिवर्तन के बाद पुराने जन्म की बातें भूल जाती हैं ऐसे पुरानी बातों को, पुराने संस्कारों को भस्म करो,अस्थियों को भी सम्पूर्ण स्थिति के सागर में समा दो तब कहेंगे समान और सम्पूर्ण।
स्लोगन:- विस्तार को सार में समाने की जादूगरी सीख लो तो बाप समान बन जायेंगे।
To Watch Murli Saar:https://youtu.be/Pob0Qe09g14