Murli Ka Saar dated 18-12-2021

”मीठे बच्चे – श्रीमत कहती है पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान दो, पढ़ेंगे-लिखेंगे तो बनेंगे नवाब अर्थात् दिलतख्तनशीन बन जायेंगे”

प्रश्न:- सर्विस की वृद्धि न होने का कारण क्या है?

उत्तर:- अगर सर्विस करने वाले बच्चों में देह-अभिमान आ जाता है, थोड़ी भी सर्विस की और नशा चढ़ गया कि मैंने फलाने को ज्ञान दिया तो सा|वस वृद्धि को नहीं पा सकेगी। बच्चे यह भूल जाते हैं कि इनको बाबा ने टच किया है। देह-अभिमान ही सर्विस को बढ़ने नहीं देता इसलिए बाबा बार-बार युक्ति बताते हैं कि देही-अभिमानी भव।

गीत:- हमें उन राहों पर चलना है…

 

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) अपनी बुद्धि हद से निकाल बेहद में रखनी है। दूसरों को भी बेहद में लाना है। इस पुरानी दुनिया से दिल हटा देना है।

2) सदा खुशी में रहने के लिए धारणा करनी और करानी है। हमको भगवान पढ़ाते हैं – यह नशा रखना है।

वरदान:- तपस्या द्वारा अपने विकर्मो वा तमोगुण के संस्कारों को भस्म करने वाले तपस्वीमूर्त भव

जैसे अभी ईश्वरीय पालना का कर्तव्य चल रहा है ऐसे लास्ट में तपस्या द्वारा अपने विकर्मो और हर आत्मा के तमोगुणी संस्कार वा प्रकृति के तमोगुण को भस्म करने का कर्तव्य चलना है। इसके लिए सदा एकरस स्थिति के आसन पर स्थित हो अपने तपस्वी रूप को प्रत्यक्ष करो। आपकी हर कर्मेन्द्रिय से देह-अभिमान का त्याग और आत्म-अभिमानी बनने की तपस्या प्रत्यक्ष रूप में दिखाई दे।

स्लोगन:- संस्कारों की टक्कर से बचने के लिए बालक और मालिकपन का बैलेन्स रखो।

To Watch,Murli Saar: https://youtu.be/jgSOH49Zal4