Headline:- “ज्ञान धन का दान करने के लिए विचार सागर मंथन करो, दान का शौक रखो तो मंथन चलता रहे”
प्रश्नः-ज्ञान मार्ग में सदा अपने को तन्दरूस्त रखने का साधन क्या है?
उत्तर:- सदा अपने आपको तन्दरूस्त रखने के लिए बाबा द्वारा जो भी ज्ञान घास (मुरली) मिलती है, उसे खाकर फिर उगारना चाहिए अर्थात् मंथन करना चाहिए। जिन बच्चों को मंथन करने की अर्थात् हज़म करने की आदत है, वह बीमार नहीं पड़ सकते। सदा तन्दरूस्त वह है जिसमें विकारों की बीमारी नहीं।धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप जो अच्छी-अच्छी बातें सुनाते हैं, उन पर विचार सागर मंथन कर बहुतों का कल्याणकारी बनना है। उल्टी-सुल्टी बातें एक कान से सुन दूसरे से निकाल देनी हैं।
2) कोई भी आसुरी स्वभाव है तो उसे छोड़ना है। बाप जो ज्ञान घास खिलाते हैं, उसे उगारते रहना है।
वरदान:-सदा अपने पवित्र स्वरूप में स्थित रह गुण रूपी मोती चुगने वाले होलीहंस भव
आप होली हसों का स्वरूप है पवित्र और कर्तव्य है सदैव गुणों रूपी मोती चुगना। अवगुण रूपी कंकड कभी भी बुद्धि में स्वीकार न हो। लेकिन इस कर्तव्य को पालन करने के लिए सदैव एक आज्ञा याद रहे कि न बुरा सोचना है, न बुरा सुनना है, न बुरा देखना है, न बुरा बोलना है…. जो इस आज्ञा को सदा स्मृति में रखते हैं वह सदा सागर के किनारे पर रहते हैं। हंसों का ठिकाना है ही सागर।
स्लोगन:-चलते-फिरते फरिश्ता स्वरूप में रहना – यही ब्रह्मा बाप की दिल-पसन्द गिफ्ट है।To watch murli saar: click here
